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जिस कोरोना वायरस ने संपूर्ण मानव जाति को घुटने पर ला दिया उसी पर विजय पाने का रहस्य भगवान कृष्ण भगवत गीता में बताते हैं
कोरोना वायरस की वजह से इस समय दुनिया के लगभग 20% लोग लॉकडाउन में है. कुछ जानकारों का ऐसा भी मानना है कि इस कोरोनावायरस से अब तक दुनिया में लगभग 20% जी डी पी का नुकसान हुआ है. इसका मायने यह है कि, उदाहरण के लिए, अगर किसी देश की जी डी पी में एक या 2% का भी नुकसान होता है तो उससे उस देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है. अकेले अमेरिका में ही इस क्वार्टर में लगभग 25% जीडीपी गिर गई है. यह नुकसान अतुलनीय है, इतिहास में इस तरह का नुकसान पहले कभी नहीं हुआ. दूसरे विश्वयुद्ध में भी इस मेग्नीट्यूड का असर नहीं था. इस भयानक बीमारी के दुष्परिणाम की सीमा को आंकना इस समय लगभग असंभव है.
हमारे मेडिकल वैज्ञानिकों ने पिछले पांच दशकों में बड़ी बीमारियों से लड़ने में काफी सफलता प्राप्त कर ली है. लेकिन शायद अभी भी उनकी सफलता और उनकी बुद्धिमानी पर्याप्त नहीं है. दुनिया भर के पीड़ित हर दिन एक नई उम्मीद करके उठते हैं कि शायद आज वैज्ञानिकों के पास इस बीमारी से लड़ने के लिए नया वैक्सीन निकाल पाया होगा. लेकिन पिछले कई महीनों से वह हर दिन हताश हो रहे हैं – अभी तक शोधकर्ताओं को कोई विशेष सफलता प्राप्त नहीं हुई है. इस छोटे से वायरस के समक्ष आठ संपूर्ण मानव जाति बेबस और लाचार लग रही है.
कुछ महीने पहले हम इस स्थिति की कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि एक वायरस जिसका आकार मनुष्य के सर के बालों के मोटाई के 400 गुना छोटा है उसने पूरे दुनिया को घुटने पर ला दिया है. चाहे फिर वह जर्मनी की चांसलर हो या फिर कोई सेलिब्रिटी हो या फिर कोई छोटे देश का मामूली आदमी हो – हर किसी को इस वायरस ने अटैक किया है.
भगवान कृष्ण भगवत गीता के 13 अध्याय के नौवें श्लोक (BG 13.9) में बोलते हैं कि सच्चा ज्ञानी वही है जोआत्म साक्षात्कार के यह लक्षण दिखाता है – जो मनुष्य जन्म, मृत्यु, जरा (बुढ़ापा) और व्याधि (बीमारी) के पापों से भली-भांति परिचित है, और इससे बचने के लिए प्रयास करता है, वही सच्चा ज्ञानी है. वास्तव में भौतिक जगत में जिसने भी जन्म लिया है उसको जन्म मृत्यु बुढ़ापा और बीमारी आएगी ही आएगी. आप कितने ही विकसित देश में क्यों ना रहो ( हालांकि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा नुकसान और मृत्यु अभी तक विकसित देशों में ही हुई है) आपकी आर्थिक स्थिति कितनी ही अच्छी क्यों ना हो आप कितने ही बुद्धिमान क्यों ना हो आपको यह प्रॉब्लम रहेगी ही रहेगी.
प्रकृति के नियम होते हैं, जो कि कृष्ण की कई शक्तियां में से एक है जो हर किसी को भौतिक जगत में मानना पड़ता है, लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ जाता है तब प्रकृति नए-नए तरीकों से इस संतुलन को पुनः स्थापित करती है. अगर हम गौर से देखें तो कोरोनावायरस प्रकृति के साथ एक खिलवाड़ का ही नतीजा है जिसने एक महामारी का वैश्विक रूप लेकर सामने आई है.
इस महामारी का कारण यह बताया जा रहा है कि वैज्ञानिक चमगादड़ और सांप के डी-एन-ए का अप्राकृतिक रूप से अमानवीय मूल्यों के लिए एक बायोलॉजिकल वेपन की तरह यूज करना चाह रहे थे. जिससे दूसरे राष्ट्रों पर नियंत्रण रखा जा सके और उनकी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने से रोका जा सके, जो कि हर हाल में एक निंदनीय कार्य है. यह स्पष्ट रूप से मनुष्य अपने तथाकथित बुद्धि का दुरुपयोग कर रहा है. ऐसे बुद्धि वालों को भगवान कृष्ण भगवत गीता में उनकी बुद्धि होने के बाद भी “मुंड़ा” बुद्धिहीन कहां है. जो मनुष्य जीवन का मूल्य जाने बगैर अपने आप को गलत कर्मों के द्वारा निचली योनियों में निरंतर गिराए जा रहा है.
अगर हमें जन्म मृत्यु जरा और व्याधि के ऊपर उठना है तो हमें आत्म साक्षात्कार का मार्गअपनाना होगा. हमारे जीवन को सत्व गुण में लाना होगा – हमारी तमो गुण और रजो गुण से भरी हुई आदतों को बदलना होगा. जो कि हमें शुद्ध शाकाहारी बनाएं और हमारे विचारों की शुद्धि करें. ऐसा तभी संभव है जब हम भगवान द्वारा बताएगा मार्ग पर चलें और इस मनुष्य बुद्धि का उपयोग इस दुखों से भरे हुए और संघ भंगुर भौतिक जगत से निकलकर भगवान के धाम को प्राप्त कर सके.