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सफल बिजनेसमैन और प्रोफेशनल यह तीन चीजें अपने आप को मेंटली स्ट्रांग रखने के लिए करते हैं
हमारे हर एक्शन के पीछे हमारा बिलीफ सिस्टम काम कर रहा होता है. सरल भाषा में हमारी एकत्र मानसिकता, हमारे विचार हमारे विश्वास और हमारे पूर्व अनुभव जब मिलते हैं वह में बिलीफ सिस्टम का रूप ले लेते हैं. यही बिलीफ सिस्टम हमें यह बताता है कि हमें सपने देखने चाहिए या कि नहीं – क्योंकि अगर पहले हमने सपने देखे और वह पूरे नहीं हो सके तो हमारा मन यह धीरे-धीरे मानने लगता है कि सपने देखना व्यर्थ है और यही मान्यता धीरे-धीरे हमारे बिलीफ सिस्टम का भाग बन जाती है.
आप कितने पैसे कमाना चाहते हैं, जॉब कहां करना चाहते हैं, अपने आसपास के लोगों पर आपका प्रभाव कैसे पढ़ना चाहिए, किस तरह की कंपनी में काम करना चाहते हैं , कौन सी गाड़ी खरीदना चाहते हैं या फिर शहर के कौन से भाग में आप रहना चाहते हैं यही हमारे बिलीफ सिस्टम का रिजल्ट होता है. या फिर अगर बिजनेस में नुकसान चल रहा हो तो किस तरह सकारात्मक सोच रखकर ऊपर उठना चाहिए या फिर अगर रिलेशनशिप बिगड़ रहे हो तो किस तरह से संयम और विनम्रता से अपने रिलेशन को बचाना चाहिए. बिलीफ सिस्टम ही आपको बाहरी वातावरण से जूझने के लिए उपयुक्त एक्शन लेने को कहते हैं.
अगर आप बिजनेस पर्सन हो या फिर एक प्रोफेशनल या एक ग्रहणी या फिर स्कूल या कॉलेज के छात्र – हर किसी की जिंदगी में स्ट्रेस है. हमारे अध्ययन से हमने पता लगाया है कि अगर हम यह तीन चीज करें तो मेंटली स्ट्रांग बनते हैं और कई हद तक हम डिप्रेशन के प्रभाव से बच सकते हैं.
नंबर 1 – अपने पीछे के वर्षों में जो भी नेगेटिव एक्सपीरियंस हुए है उसे पॉजिटिव एक्सपीरियंस से रिप्लेस करें जिससे आपकी बिलीफ सिस्टम पॉजिटिव और स्ट्रांग बनेगी. थोड़ा प्रयास करने के बाद आप अपनी सोच लोगों को बताएंऔर यह भी बताएं कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं. इसकी चिंता ना करें कि क्या सही है या क्या गलत है. इसमें अहम यह है कि आप अपना व्यक्तित्व लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जिससे आपको आत्मा बल मिलेगा और अपने बिलीफ सिस्टम पर आपको भरोसा भी होगा. जब तक एक बिजनेसमैन या प्रोफेशनलअपने स्वयं के बिलीफ सिस्टम को स्ट्रांग नहीं बनाएगा वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता क्योंकि हमेशा ही आसपास की परिस्थितियां या लोग उस पर हावी होने की कोशिश करेंगे. आपका स्वयं का स्ट्रांग बिलीफ सिस्टम ही आपको आसपास की नेगेटिविटी से बचाएगा.
नंबर दो – कंप्यूटर इंटरनेट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटलाइजेशन के चलते आज जो सुविधाएं अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में मिल रही है वहीं आज भारत के छोटे से गांव में भी तुरंत ही उपलब्ध है. अब उन्नति के अवसर समान हैं और उसके साथ साथ अत्याधिक कॉन्पिटिशन भी है. एक रिसर्च से यह पता लगा है कि जो भी अपने क्षेत्र में उन्नति करा है उसका टेक्निकल के साथ-साथ इमोशनल इंटेलिजेंस भी थी. क्योंकि उन्नति मात्र हमें अच्छे अवसर को भुनाने में नहीं बल्कि जब परिस्थितियां प्रतिकूल हो उस समय हमें हमारे इमोशन को किसी भी तरह से पॉजिटिव रखकर एक अच्छे अवसर के लिए निरंतर तैयार रहना चाहिए और यही सफल प्रोफेशनल और बिजनेसमैन कर रहे हैं.
नंबर 3 – आईडेंटिटी क्राइसिस से बचना चाहिए, हम सफल होने की दौड़ में कई बार इतना लीन हो जाते हैं कि हमें पता ही नहीं होता कि सफलता की परिभाषा क्या हैऔर इसी स्थिति को आइडेंटिटी क्राइसिस कहते हैं कि हमें हमारे वास्तविक आईडेंटिटी क्या है उसकी ही जानकारी नहीं होती. और हमें यह भी देखने को मिलता है कि जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हो चुके हैं उसके बावजूद भी उनके अंदर एक डिप्रेशन, अकेलापनऔर चिड़चिड़ा हट मची रहती है. वह अपने भारी सफलता के बावजूद खुश नहीं हो पाते. और ऐसा तब ही होता है जब आपको आपके वास्तविक खुशियों का अनुभव ना हो और ना ही ज्ञान हो .
इस स्थिति से बचने के लिए हमें हमारी सफलताऔर उसको पाने के तरीके पर विस्तार से सोचना चाहिए झरना थीऔर उसी में लग्न होकर निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए. इस उन्नति के रफ्तार भले ही कम क्यों ना हो लेकिन यह हमें हमेशा सकारात्मक मानसिक स्थिति में रखती है और हमें सफल होने के बाद खोने का अनुभव नहीं होता. हमें तुरंत पता लग जाना चाहिए कि अगर हमें सफलता मिली है तो हमें उसे तुरंत ही उत्साह और आनंद के साथ सभी के साथ मनाएं.हमें हमेशाअपने रिलेशंस को स्ट्रांग और अपने फ्रेंड के साथ जुड़ कर रहना चाहिए जिससे हमारे इमोशंस का वैलिडेशन होता रह सकें.