दुनिया में इस समय लगभग 50% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं लेकिन 62% लोगों के पास मोबाइल फोन है. इसका अर्थ यह हुआ कि लोग मूलभूत जरूरतों पूरा किए बगैर अब वह टेक्नोलॉजी और मोबाइल के द्वारा प्रदत सुविधाओंऔर मनोरंजन को ज्यादा महत्व दे रहे है.
टेक्नॉलॉजी हमारी परेशानियां कम नहीं बल्कि बढ़ा रही है
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एक दिन के एप्पल कंपनी के आईफोन की बिक्री उस दिन जन्में नवजात शिशुओं की संख्या से ज्यादा है. इसी अनुमान से यह कहना सरल होगा कि एक समय हमारे पास दुनिया की जन्मसंख्या से ज्यादा मोबाइल फोंस होगे.
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मूलभूत जरूरतों को पूरा किए बगैर टेक्नोलॉजी पर खर्च करना बिगड़ी हुई प्राथमिकताओं को ही नहीं बल्कि दिशाहीन विकास के आयामों को भी जन्म देता है. जिसका वास्तविकता में लोगों की खुशहाली से कोई संबंध नहीं होता.
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हमें मूलभूत जरूरतों को पुनः समझकर उसने जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए कार्य करना होगा. उदाहरण के लिए अच्छी शिक्षा, अच्छी चिकित्सा, कृषि उपज का भरपूर मात्रा में उपलब्ध होना, इन्फ्लेशन को नियंत्रण में रखना और रोजगार के अभाव में गांव वासियों का अच्छी सुविधाओं के लिए शहर में जाकर बसने पर नियंत्रण करना होगा.
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