इंटरनेट और मोबाइल के युग में ध्यान को लंबे समय तक केंद्रित करना कठिन होते जा रहा है. ध्यान भटकाने के सुगम अवसर सहज ही उपलब्ध है. लंदन में एक रिसर्च के अनुसार एक सामान्य आदमी दिन भर में लगभग 40,000 विचार अपने मस्तिष्क में प्रोसेस करता है, इसका अर्थ यह है कि हम एक विचार पर 3 सेकंड से ज्यादा देर तक केंद्र नहीं कर पा रहे हैं. लगभग 30 साल पहले यही आंकड़ा 7 सेकंड था. ध्यान अवधि का इस तरह से निरंतर सीमित होते जाना एक चिंता का विषय है. इसका परिणाम हम स्कूल और कॉलेज के छात्रों में ही नहीं बल्कि बल्कि प्रोफेशनलस मै भी देख रहे हैं जहां निरंतर रूप से उनकी प्रोडक्टिविटी गिरते जा रही है.
टेक्नॉलॉजी के चलते ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वजह से जो काम रिपिटेटिव और नॉन-वैल्यू एडिंग है उसे रोबोट करेंगे इसी वजह से रोजगार के अवसर सीमित हो जाएंगे और कंपटीशन और भी बढ़ जाएगा. इस बदलते युग में हम ऑर्गेनाइजेशंस के लिए कितने प्रोडक्टिव है उसी के बल पर ही हमें रोजगार मिलेंगे.
आखिर प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का सरल तरीका क्या है ? मैंने पिछले कुछ वर्षों में फॉर्चून 500 कंपनीज के एग्जीक्यूटिव से मिला और मैंने दो सरल तरीके पता करें जिससे कोई भी एंप्लॉय अपनी प्रोडक्टिविटी और अपने रोजगार के अवसर बढ़ा सकता है.
नंबर 1 अगर आप अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाना चाहते हैं तो आप कम से कम टाइम में आपकी इंपॉर्टेंट चीजों को खत्म करने की कोशिश करें है, पर इसे कैसे करा जा सकता है? इसके लिए एक सरल सा उपाय है – आप मान लीजिए कि आपको पहला हार्ट अटैक आया है और डॉक्टर ने आपको मात्र 2 घंटे ही काम करने के लिए बोला है अगर आप इससे ज्यादा कार्य करते हैं तो आपको दूसरा हार्टअटैक भी आएगा और शायद आपकी जान भी जा सकती है. इसका अर्थ यह है कि आपके प्रायोरिटी वाले काम ही करना पड़ेगा इसका परिणाम यह होगा कि आप कम समय में ज्यादा से ज्यादा रिजल्ट दे पाएंगे और शेष समय में आप स्ट्रैटेजिक थिंकिंग के द्वारा भविष्य के लिए अपने और अपने व्यवसाय को प्रिपेयर कर सकते हैं.
नंबर दो अगर आपको अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ानी है तो आपको अपनी मानसिक स्थिति बदलनी होगी – आप यह मान लीजिए कि आपको आपके बहुत ही इंपॉर्टेंट कार्य की वजह से लगभग 20 दिनों के लिए देश से बाहर जाना पड़ रहा है और आपके परिवार और ना ही अपने व्यवसाय के ऊपर ध्यान दे पाएंगे तो आपको इस समय यह सुनिश्चित करना होगा कि किस तरह से मेरी अनुपस्थिति में मेरा सभी काम चल सके. अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो आप अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठा सकते हैं क्योंकि इसके चलते आप अपने एम्पलॉईस का भरपूर उपयोग कर सकते हैं जो कि प्रोडक्टिव होने में बड़ा ही सहायक होगा.
अगर हम दुनिया के सफलतम उद्योगपति अंबानी, बिल गेट्स, वारेन बफेट , जैफ बेजॉस आदि को देखें तो यह पाएंगे कि उनकी अनुपस्थिति में भी उनका बिजनेस सुचारू रूप से चल रहा होता है और यही सुपर प्रोडक्टिविटी की परिभाषा है.