बात उन दिनों की है जब सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार अपने करियर के शीर्ष पर थे. लोग उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करा करते थे.
एक दिन वह अपनी शूटिंग खत्म कर फ्लाइट लेकर मुंबई लौट रहे थे जैसे ही वह प्लेन में अपनी सीट पर आकर बैठे उनका ध्यान उनके बगल में बैठे एक शांत सौम्या सजन की ओर गया.
अधिकतर तो ऐसा होता था कि जहां दिलीप कुमार जाते थे वहां उन्हें देखकर लोग खुशी से उछल जाते थे उनसे बात करने के लिए बहाने ढूंढते थे और उनसे किसी भी तरह से संबंध बनाना चाहते थे लेकिन यह व्यक्ति एकदम अलग था. मानो दिलीप कुमार का वहां होना उसे व्यक्ति पर कोई भी फर्क नहीं डाल रहा था.
थोड़ी देर बाद जब दिलीप कुमार से नहीं रहा गया तो दिलीप कुमार ने बातचीत शुरू करते हुए पूछा कि क्या आप फिल्म देखते हैं तभी उसे व्यक्ति ने थोड़ा सोच कर कहा कि नहीं मैं बहुत ज्यादा नहीं देख पाता मैं मेरे कार्य में बड़ा ही व्यस्त रहता हूं.
दिलीप कुमार ने हंसते हुए कहा, “कोई बात नहीं आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुई मेरा नाम दिलीप कुमार है” वही उस अनजान व्यक्ति ने भी उतने उत्साह के साथ दिलीप कुमार के साथ हाथ मिलाया और कहा “मुझे भी आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुई मेरा नाम जे.आर.डी. टाटा है.”
वह इतने बड़े टाटा समूह के संस्थापक थे.
यह सुनकर मानो दिलीप कुमार के पैरों तले जमीन फिसल गई वह एकदम चुप हो गए और मन ही मन जे.आर.डी.टाटा की शालीनता से मोहित हो गए थे.
साथियों अगर हम अपने व्यवहार में शालीनता और दूसरों के प्रति सम्मान लेकर आए तो हम लोगों का आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं.