सन 1926 में एक सफल उद्योगपति ने अभूतपूर्व निर्णय लिया, उसने अपने श्रमिकों का वर्किंग वीक 6 दिन से घटाकर मात्र 5 दिन कर दिया. सब लोग आश्चर्य में पड़ गए. व्यापारिक पंडितों ने आकलन लगाया श्रमिकों से कम काम करवा कर मुनाफा कैसे कमा सकते हैं. आखिर उन्हें समझ नहीं आ रहा था एक सफल उद्योगपति ऐसी गलती कैसे कर सकता है.
लेकिन तुरंत ही उन्होंने अपने निर्णय का स्पष्टीकरण दिया, और यह सुनकर लोग आश्चर्यचकित हो गए. वह नहीं जानते थे कि इस निर्णय का आने वाले कई सालों तक व्यापारिक और आर्थिक जगत पर एक गहरा असर पड़ने वाला है.
लेकिन तुरंत ही उन्होंने अपने निर्णय का स्पष्टीकरण दिया, और यह सुनकर लोग आश्चर्यचकित हो गए. वह नहीं जानते थे कि इस निर्णय का आने वाले कई सालों तक व्यापारिक और आर्थिक जगत पर एक गहरा असर पड़ने वाला है.
.
अमेरिका की आर्थिक सफलता का यह राज आपको कोई नहीं बताएगा
.
उन्होंने अपनी सफाई में यह कहा कि हमारे खुद के श्रमिक हमारे मुख्य उपभोक्ता भी है और प्रचारक भी. जब हम उन्हें धनराशि कमाने के बाद उपयुक्त समय देते हैं, तब वे लोग संयुक्त श्रमिक और उपभोक्ता भी बन जाते हैं, और उसी समय में उनके द्वारा बनाई गई चीजों को खरीदते हैं – अपने दोस्त और रिश्तेदारों में भी उस वस्तु का उपयोग करने का सलाह देते हैं. ऐसा करने पर उनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं की डिमांड बढ़ जाती है और जिस फैक्ट्री में या ऑफिस में काम करते हैं तब उनका मुनाफा बढ़ने लगता है.
उन्होंने अपनी सफाई में यह कहा कि हमारे खुद के श्रमिक हमारे मुख्य उपभोक्ता भी है और प्रचारक भी. जब हम उन्हें धनराशि कमाने के बाद उपयुक्त समय देते हैं, तब वे लोग संयुक्त श्रमिक और उपभोक्ता भी बन जाते हैं, और उसी समय में उनके द्वारा बनाई गई चीजों को खरीदते हैं – अपने दोस्त और रिश्तेदारों में भी उस वस्तु का उपयोग करने का सलाह देते हैं. ऐसा करने पर उनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं की डिमांड बढ़ जाती है और जिस फैक्ट्री में या ऑफिस में काम करते हैं तब उनका मुनाफा बढ़ने लगता है.
.
लेकिन अगर इन श्रमिकों को स्वयं उनके द्वारा कमाए गए धन को खर्च करने का समय नहीं दिया जाएगा तो हमारे उत्पादन क्षमता हमें कम करनी होगी. जिससे हमारा नुकसान होगा और इन्हीं श्रमिकों को रोजगार के अवसर मुहैया नहीं करा पाएंगे.
लेकिन अगर इन श्रमिकों को स्वयं उनके द्वारा कमाए गए धन को खर्च करने का समय नहीं दिया जाएगा तो हमारे उत्पादन क्षमता हमें कम करनी होगी. जिससे हमारा नुकसान होगा और इन्हीं श्रमिकों को रोजगार के अवसर मुहैया नहीं करा पाएंगे.
.
अगर हमें अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है, मुनाफे को बढ़ाना है तो हमें हर प्रयास करने होंगे कि हमारे ग्राहक को हम उपयुक्त समय और पर्याप्त वेतन दे जिससे वह पुनः अपने पैसे अर्थव्यवस्था में निवेश करें. इससे सभी का फायदा होगा.
इस छोटे से निर्णय का उपभोक्तावाद पर बहुत ज्यादा असर पड़ा और हम देखते हैं अमेरिका, यूरोप और चाइना जैसे देशों मे अत्याधिक कंज्यूमैरिज्म के चलते वहां की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो गई है.
अगर हमें अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है, मुनाफे को बढ़ाना है तो हमें हर प्रयास करने होंगे कि हमारे ग्राहक को हम उपयुक्त समय और पर्याप्त वेतन दे जिससे वह पुनः अपने पैसे अर्थव्यवस्था में निवेश करें. इससे सभी का फायदा होगा.
इस छोटे से निर्णय का उपभोक्तावाद पर बहुत ज्यादा असर पड़ा और हम देखते हैं अमेरिका, यूरोप और चाइना जैसे देशों मे अत्याधिक कंज्यूमैरिज्म के चलते वहां की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो गई है.
.
कुछ लोग जो आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखते हैं उनके लिए यह निर्णय और यह सोच दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे ग्राहक अपनी जरूरतों से ज्यादा खर्च करता है और अपने स्वयं द्वारा निर्मित अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने दिन रात अपने शरीर को तकलीफ देकर अत्याधिक धन कमाने की चेष्टा करता है.
कुछ लोग जो आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखते हैं उनके लिए यह निर्णय और यह सोच दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे ग्राहक अपनी जरूरतों से ज्यादा खर्च करता है और अपने स्वयं द्वारा निर्मित अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने दिन रात अपने शरीर को तकलीफ देकर अत्याधिक धन कमाने की चेष्टा करता है.