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वर्तमान चुनौतियां भारत को सुपर-पावर बनाने का सुनहरा अवसर दे रही है
अमेरिका चीन जर्मनी इटली फ्रांस स्विजरलैंड और ब्रिटेन यह 7 देश इस समय दुनिया के सबसे ज्यादा विकसित देशों में है लेकिन उन्नत मेडिकल सुविधाओं के बावजूद लगभग 80% कोरोनावायरस के द्वारा मृत्यु इन्हीं 7 देशों में हुई है. कहने का तात्पर्य यह है कि वैज्ञानिक प्राकृतिक आपदाओं से जूझने के लिए अभी भी पूरी तरह से सक्षम नहीं है.
अब से पहले हम जो लक्षणों को भौतिक सुख संपन्नता और प्रगतिशील समाज का सूचक मानते थे आज वही कारण इन विकसित देशों की सबसे बड़ी परेशानियां बन गया है – उदाहरण के लिए अपना देश छोड़कर विदेशों में जाकर वस्तुएं सस्ते दाम पर खरीदना और उसे पुनः अपने देश में लाकर महंगे दामों पर बेचनाआज के व्यापारिक जगत की वास्तविकता बन गया है – ऐसे लोग धनवान और बुद्धिमान माने जा रहे हैं, परंतु अब नहीं.
कभी आउटसोर्सिंग के नाम पर या फिर कभी कम लागत के पर मैन्युफैक्चरिंग के नाम पर, पाश्चात्य देशों में हमेशा से ही सस्ते दामों पर सेवाएं और निर्माण के लिए चीन को चुना जाता था, लेकिन इस बार चीन में आए विदेशी व्यापारियों ने वहां पर फैले हुए संक्रामक रोगको भी साथ लेकर अपने देशों में चले गए और वहां इस बीमारी को और फैलाकर एक बड़ा खतरा मोल ले लिया.
अब प्रश्न उठता है कि क्या भविष्य में इतना रिस्क लेकर व्यवसाय करना ठीक होगा ? इसके अपेक्षा हम स्वयं के देश में ही इनोवेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा बेहतर सेवाएं और कम लागत के निर्माण को नहीं कर सकते? अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से भारतविजय होगा क्योंकि हमारे पास दुनिया के सबसे अधिकयुवा पीढ़ी है जिसे भविष्य मेंआने वाली चुनौतियां को सहज रूप से एक सुनहरे अवसर में बदल सकती है. पर इसके लिए हमें आज से ही तैयार होना पड़ेगा.
एक अध्ययन के अनुसार उपरोक्त छह देश ही अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं में सबसे ज्यादा अग्रिण है और इसी वजह से कोरोनावायरस जैसा घातकबीमारी चाइना से अमेरिका और लगभग सभी यूरोपीय देश में फैल गई. अगर हम गौर करें तो यह पता लगता है लगता है कि जिस देश के पास पर्याप्त उपभोक्ता है (भारत विश्व का सबसे ज्यादा युवा देश है भारत की लगभग 65% जनसंख्या 30 वर्षीय छोटी है) और कम दामों पर अच्छी सेवाएं और वस्तुएं बनाने के लिए टेक्नोलॉजी है तो ऐसे देश भविष्य में निश्चित रूप सुपर पावर बनेगे. क्योंकि उन्हें किसी भी तरह सेअपने देश से बाहर किसी और राष्ट्रों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. उदाहरण के लिए जापान जिसकी पूरी अर्थव्यवस्थाएक्सपोर्ट पर टिकी होती है अगर विदेश में उनके माल की कोई डिमांड नहीं तो उनकी पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो जाती है, और वहीं दूसरी ओर चाइना की अर्थव्यवस्था भी एक्सपोर्ट-ड्रिवन है, वह कम मूल्यों पर निर्माण करने की क्षमता की वजह से ही दुनिया का सुपर पावर बन पाया था.
क्योंकि भारत में दुनिया एक बहुत बड़ी जनसंख्या है जो कि शिक्षितऔर अच्छी कम्युनिकेशन स्किल वाली है, भारत में नई टेक्नोलॉजी का विकास और अंतरराष्ट्रीय ट्रेड-वॉर के चलते अब सर्विस सेक्टरके साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग में भी उन्नति के नए अवसर निर्मित होंगे. इन चीजों को देखते हुए भारतअगले कुछ वर्षों मेंआर्थिक रूप से सुपर पावर निश्चित बन पाएगा. यही भारत के सुपर पावर बनने का सबसे पहला कारण होगा.