
सामान्यतः, भारतीय नागरिक अपनी बुद्धि और श्रेष्ठ एजुकेशन का परिचय अमेरिका जाकर विदेशी डॉलर कमा कर देते हैं. इसमें कोई गलत बात भी नहीं, शायद इसी तरह से वह अपनी महत्वाकांक्षा और प्रगतिशील होने का सबूत देते हैं. सफलता और अमेरिका जाना दोनों एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं. आखिर कोई क्यों नहीं चाहेगा कि उसे और उसके परिवार वालों को एक अच्छी लाइफ स्टाइल के रूप में – स्वस्थ वातावरण, अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, दुनिया का सबसे बेहतरीन एजुकेशन और उन्नति केअसीमित अवसर मिले? यह उपलब्धियां उन्हें सबसे ज्यादा खुशियां देती है. लेकिन पीछे 3 महीने के घटनाक्रम में सब कुछ बदल चुका है, कोरोनावायरस की त्रासदी से उत्पन्न परेशानियों ने लोगों को सफलता और खुशियों की परिभाषा बदलने पर विवश कर दिया है.
भारतीय नागरिक की औसतन वार्षिक आय (पर कैपिटा इनकम) लगभग $1600 है इसकी तुलना में अमेरिका की औसतन वार्षिक आय $64,000 है. इसका अर्थ यह है कि अमेरिका का हर नागरिक भारतीय नागरिक की तुलना में 40 गुना ज्यादा कमाता है. देखने में यह तुलना अत्याधिक सकारात्मक लगती है और हर कोई चाहेगा कि ऐसे देश में जाकर रहे जहां हर नागरिक को अपनी योग्यता के हिसाब से अवसर मिले. आइए नीचे कुछ तथ्यों पर गौर करते हैं जिससे बदलते परिदृश्य को जानने मिलेगा.
अमेरिका इस समय कोरोनावायरस की त्रासदी से सबसे ज्यादा पीड़ित है. पिछले 1 हफ्ते से हर दिन अमेरिका में लगभग 2000 लोगों की मृत्यु कोरोना वायरस से हो रही है. गौर करने लायक बात यह भी है कि अमेरिका के पास आज दुनिया की सबसे बेहतर मेडिकल फैसिलिटी है. कहने का तात्पर्य है कि किसी भी देश की आर्थिक स्थिति या मेडिकल फैसिलिटी कितनी ही बेहतर क्यों ना हो जाए उन्हें मृत्यु बीमारियों के पीड़ा से हमेशा नहीं बचा सकती.
हर देश की तरह अमेरिका में भी ऑफिस, फैक्ट्री, होटल, ट्रांसपोर्ट और सभी बिना जरूरत की चीजें बंद है. इसके चलते वहां पर भी लगभग 8 मिलियन लोग बेरोजगार हो गए हैं. हालत इतनी खराब है कि कुछ शहरों में दंगों की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इन बेरोजगार लोगों को स्थिति सामान्य होने तक पर्याप्त धन देने की बड़ी जिम्मेदारी अब अमेरिका सरकार की है. यह भार अमेरिका की सरकार पर भारत की तुलना में कई अधिक इसलिए भी है क्योंकि वहां पर नॉर्मल लिविंग स्टैंडर्ड मेंटेन करने के लिए भारत की अपेक्षा में 100% से लेकर 500% तक ज्यादा महंगाई है. क्योंकि विपत्ति के समय यह अत्याधिक महंगाई उन्हें बहुत सारी रोजमर्रा की चीजें भी उनकी पहुंच से दूर कर देती है. इस समय कोई भी अमेरिका जैसे देश में नहीं रहना चाहेगा. अमेरिका के वर्किंग क्लास का एक बहुत बड़ा हिस्सा मासिक सैलरी रुक जाने पर 2 महीने से ज्यादा नहीं जी सकता. क्योंकि वह देश कंज्यूमैरिज्म प्रधान देश है यानी वे जो भी कमाते हैं उसे खर्च कर देते हैं वहां सेविंग को ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी जाती है.
हर विकसित देशों में भौतिकवाद अपने चरम सीमा पर है, इसी वजह से वहां पर आपसी रिश्तो की बुनियाद बहुत गहरी नहीं होती है, लोग ज्यादातर अकेले ही रहते हैं, अकेलेपन को दूर करने के लिए वे नाइट क्लब और पब में जाते हैं. तरह-तरह के व्यसन करते हैं. लेकिन विपत्ति के समय फैमिली और रिलेशनशिप के सपोर्ट के बगैर थोड़ी सी परेशानियों में भी लोग डिप्रेशन और नेगेटिव थिंकिंग का शिकार हो जाते हैं. जहां पूरा अमेरिका इस समय कोरोनावायरस की त्रासदी से जूझ रहा है वही बीमारी से ग्रस्त लोग एकांकी पन से शिकार होकर अपनी दुर्बल मानसिक स्थिति की वजह से कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इम्यूनिटी भी खो रहे हैं, और डर की वजह से मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं. यह स्थिति भारत जैसे देश में कम है क्योंकि आज भी हमारा पारिवारिक और सामाजिक ढांचा एक सुसंस्कृत और नैतिक मूल्यों पर खड़ा है. अभी भी हमें डिप्रेशन एकाकीपन की वजह से तकलीफ है नहीं है. इस समय निश्चित आप अमेरिका को छोड़कर कोई ऐसे देश में रहना चाहोगे जहां आप खुश रह कर अपने विपत्तियों को सबके साथ में रहकर उस पर विजय प्राप्त कर सके.
शायद आप लोग जानते होंगे कि अमेरिका में हथियार खरीदना लीगल माना जाता है. इसका अर्थ यह है कि अगर आप चाहे तो एक ग्रॉसरी स्टोर में जैसे आप खरीदते हैं ठीक उसी तरह से आप जाकर बंदूक, बंदूक की गोलियां और ऐसे कई हथियार अपनी सुरक्षा के लिए खरीद सकते हैं. लेकिन जहां यह हथियार सुरक्षा प्रदान करते हैं वही इन हथियारों का गलत हाथ में जाने से अमेरिका में पहले भी कई दर्दनाक हादसे हुए हैं. अमेरिका की सरकार और नीति पालक लोगों को यह चिंता है कि अगर कोरोनावायरस का लॉक-डाउन आर्थिक तकलीफें बढ़ते रहे तो कुछ लोग संयम छोड़कर इन हथियारों का सहारा ना लें.
कहने का तात्पर्य यह है कि हमें पूरा प्रयास करना चाहिए कि हमारे जीवन-शैली को सरल बनाएं और विचारों को स्पष्ट रखें जिससे हम सरलता से खुश हो सके और सफलता पाने में बिना किसी कन्फ्यूजन से काम कर सके. इन परिस्थितियों में भारत निश्चित रूप से एक अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए अनोखा विकल्प है.