[vc_row][vc_column][vc_column_text]
टाइम मैगजीन के अनुसार आईफोन शताब्दी के सर्वोच्च अविष्कारों में से एक है, जिसने व्यापार, शिक्षा और कम्युनिकेशन ही नहीं बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक ढांचे को जड़ से ही बदल दिया है. यह स्टीव जॉब्स की दूरदर्शिता का परिणाम है कि आपको बैंकिंग करना हो या ऑनलाइन बेकरी खरीदना हो, अकेले रहकर मूवी देखकर एंटरटेनमेंट करना हो या सभी के साथ में रहकर सॉफ्टवेयर के द्वारा एजुकेशन लेना हो – एक स्मार्टफोन के जरिए आप सभी कुछ कर सकते हैं.
यह कहना गलत नहीं होगा की जो जानकारी कुछ वर्षों पूर्व अति विकसित देशों के कुछ ही धनाढ्य लोगों तक सीमित थी आज वही जानकारी जो भारत जैसे देश को प्रगतिशील बना रही है वही जानकारी स्मार्टफोन की वजह से सहज ही उपलब्ध हो सकी है. यह वास्तविकता में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है.
अब प्रश्न यह उठता है कि स्टीव जॉब्स भविष्य के एक सामान्य आदमी से लेकर बिजनेसमैन की जरूरतों को कैसे समझ पाए और किस तरह से उन्होंने इन जरूरतों को अपने दूरदर्शी अविष्कार में निहित किया? इसका उत्तर हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक स्टडी से पता लगा है कि
56 वर्ष की आयु में जब स्टीव जॉब्स की मृत्यु हुई उस समय उनके दिमाग की आयु मात्र 27 वर्ष की थी. इसका कारण यह बताया गया है कि स्टीव जॉब्स माइंडफूलनेस नाम की एक मेडिटेशन एक्टिविटी करते थे जिस वजह से उन्होंने अपने मस्तिष्क की आयु को रोक रखें बल्कि उसे विपरीत दिशा में भी लेकर जा सके.
इसका परिणाम हमें उनके अविष्कारों और उनकी दूरदर्शिता में देखने को मिलता है, जिन्होंने आईफोन के जरिए एक ऐसा प्लेटफार्म बनाया है जो अगले ५० वर्षो की हर जरुरतो का उत्तर दे के सकता है. शोध से यह भी पता लगा है की स्टीव जॉब्स मानसिक संतुलन और फोकस से इमेजिनेशन के द्वारा क्रिएटिविटी को असीमित उचाइओ तक ले जाते थे. इस एक्टिविटी को माइंडफुलनेस कहा जाता है जिसमे आप अपने मस्तिक्ष को केवल इम्पोर्टेन्ट एंड हाई प्रायोरिटी पॉइंट्स को ही रखते हो. इसी वजह से वे शताब्दी को सबसे अच्छा अविष्कार करने में सफल रहे.