रामायण में युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी मेघनाथ के द्वारा बुरी तरह से घायल हो गए थे. तभी संकट मोचन हनुमान ने लंका से उड़कर हिमालय तक जाकर संजीवनी बूटी लाने का प्रण लिया.
लेकिन जब उन्होंने सफलतापूर्वक संजीवनी बूटी प्राप्त कर ली और वह वापस आ रहे थे तभी भरत महाराज की नजर उन पर पड़ी और तभी भरत महाराज ने किसी संकट के अंदेशा को देखकर उन्हें बाण चलाकर जमीन पर गिरा दिया और मूर्छित हो गए. लेकिन मूर्छित अवस्था में भी हनुमान जी के मुख से “राम राम” का जाप हो रहा था.
यह सुनकर भारत महाराज भाव विभोर हो गए और उन्हें दुख हुआ कि कौन इस विकट स्थिति में भी मेरे भाई का नाम ले रहा है. तभी भरत महाराज ने अपनी पूरी शक्ति से उन्हें मूर्छित अवस्था से उठाया और बड़ी विनम्रता से प्रश्न पूछा की,” महात्मा आप कौन हैं और क्यों मेरे बड़े भाई का नाम जप रहे हो?”
तभी हनुमान जी मुस्कुराए बोले, “महात्मा मैं कोई भी हूं लेकिन मैं यह जानता हूं कि आप कौन हैं, आप भारत महाराज है.” यह सुनकर भरत महाराज आश्चर्यचकित हो गए. तब हनुमान जी ने उनके संजीवनी ले जाने का पूरा प्रयोजन बताया.
लेकिन जब हनुमान जी पूरा विस्तार से वृतांत सुन रहे थे तभी उर्मिला, लक्ष्मण जी की पत्नी वहां आ गई और उन्होंने भी लक्ष्मण जी के मूर्छित होने की पूरी व्याख्या सुनी. लेकिन तभी और हनुमान जी के लिए एक बड़ी थाली में बड़े अयोध्या के प्रसिद्ध सेफ लेकर आई और उनसे अनुरोध कर कि आप जाने के पहले कृपया थोड़ा भोजन करके जाएं.
हनुमान जी तभी कहा कि, “माता मैं यह आपका अनुरोध स्वीकार नहीं कर सकता, मुझे तुरंत ही उड़कर यह संजीवनी बूटी लक्ष्मण जी तक पहुंचानी है नहीं तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा.” इतना सुनने पर भी उर्मिला अधिक रही और तेजी से अनुरोध करने लगी कि आप थोड़ा सा भोजन प्राप्त करके ही जाए. लेकिन तभी भी हनुमान जी अपने कर्तव्य और परिस्थिति को देखकर उन्हें क्षमा ही करते रहे.
अंत में उर्मिला जी ने कहा की है, “महात्मा शायद आप जानते नहीं कि जिनकी गोद में सर रखकर मेरे पति सो रहे हैं वहां काल तो क्या महाकाल भी नहीं आ सकता. वह अभय की शरण में है वहां उन्हें किसी भी बात का भय नहीं होगा. आप निश्चिंत होकर भोजन करें.”
यह सुनकर हनुमान जी की आंखों से अविरत आंसू बहने लगे वह कुछ बोले उसके पहले वह भाव विभोर हो गया. हनुमान जी अयोध्या वासियों का प्रेम, अटूट विश्वास और समर्पण देख अत्यधिक प्रसन्न हो गए.
जीवन में कोई भी रिश्ता आंतरिक प्रेम और विश्वास से ही पनपता है.